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________________ * हेमचन्द्रीयनिघण्टुशेषमूलग्रन्थस्य पाठभेदाः / 229 -नन्दा स्थाने -नन्दी नि० / व्यस्रा सुरूपा स्थाने व्यस्रसुरूपा नि० / -बन्धनी स्थाने बन्धना पु० नि० // 244 (पू०)कुमायाँ कर्णिका चारु-स्थाने कुमायाँ तु वर्णिचारुनि० / -केसरा स्थाने-केशरा पु० / (उ०)-तरणी गन्धा-स्थाने -तरणिर्गन्धा-नि० // 245 (उ०) कुरबकः स्थाने कुरुबकः नि० कुरकः स्यात् पु० // 246 (पू.) सैरेयकः स्थाने सैरेयके पु० // 247 (उ०) पीतभद्रः प्रलोभ्यपि स्थाने पीत. भद्रा प्रलोल्यपि पु० // 249 (उ०) शोकरा स्थाने शीतला पु० नि० // २५०(पू.) काली स्थाने काला पु० नि० / (उ०) तुत्था स्थाने तुच्छा पु० नि० // 252 (पू.) पाण्डुराङ्गः स्थाने पाण्डुरागः पु. नि०॥ 253 (उ०) मातुलपुत्रकम् स्थाने मातुलपत्रकम् नि० // 254 (पू०) क्षीरपुष्पी स्थाने क्षीरपुष्पा पु० / शिवा ब्राह्मी कि-स्थाने शिवब्रह्मी कि-पु. शिवब्रह्म कि- नि० // 255 (उ०) द्राविडः स्थाने द्राविडं पु. द्रविडः नि० / / 256 (पू०) अजमोदायां तु मोचा स्थाने मोचा मस्त्वजमोदायां नि० // 257 (पू.) ब्रह्मदर्भो स्थाने ब्रह्मदर्भा नि० / (उ०) यमानी स्थाने यमनी नि० / यवसाह्वया स्थाने यवसाह्वयः पु० नि० / / 258 (पू०) सहदेवायां तु दण्डो-स्थाने सहदेव्यां तथा दण्डो-नि० / गोवन्दनी स्थाने गोवन्दना नि० // 259 (पू०) रजको रजनामकः स्थाने रजः कवचनामकः पु० नि / (उ०)गोजिह्वायां स्थाने गोजिकायां नि०॥ 260 (पू०)भद्रादन्यो स्थाने भद्रोदन्यो-नि०।(उ०) वाटी वाटयालको वाटय-स्थाने वाटयालकस्तथा वाटय-नि० // २६१(उ०)ऋक्षगन्धा स्थाने ऋष्यगन्धा पु० नि०॥ 263 (पू.) वाटयायनी स्थाने वाट्यायिनी नि० / (उ०) गन्धवल्ली स्थाने गन्धबली पु० नि० / मङ्गल्या च प्रसा- स्थाने मङ्गल्यार्थप्रसापु. नि०॥ 264 (पू० मुसल्यां स्थाने मुशल्यां पु० / महावृषा स्थाने महाविषा नि०। (उ०) वृष्यकन्दा स्थाने वृक्षकन्दा पु० / सुमूला स्थाने समूला नि० // 265 (उ०) भूतघ्नं स्थाने सूतघ्नं नि० // 266 (उ०) जतुका स्थाने जातूका नि० / वंशपत्री स्थाने वंशपत्रा नि० // 267 (पू०) कबरी स्थाने करवी पु० नि० / बिल्वि. के-स्थाने बिल्वके-पु० नि० / (उ०) प्रचीबला स्थाने प्रचीबलः पु० नि० // 268 (पू०) नदीकान्ता नदीकान्तो नि० / नद्याख्या स्थाने नद्यास्या पु० नि० / (उ०) काकनासायां सुरङ्गा स्थाने काकनाशायां सुभङ्गा पु० // 269 (पू०) तस्करा स्नायुः स्थाने तस्करस्नायुः पु० नि० / (उ०) वृषभः स्थाने नगभित् नि // 270 (पू०) हयुषायां स्थाने हपुषायां पु० हमुषायां नि० / विगन्धा वपुषा च सा स्थाने विगन्धा मत्स्यगन्धिनी नि / वपुषा स्थाने विपुषा पु० // 273 (पू.)-शिख-महारजने स्थानेशिखं महारजनं पु० नि० / (उ०) शालपयाँ स्थाने शालिपयां पु० / पीतनी स्थाने पीतिनी नि० // 274 (पू०) शून्यांशु- स्थाने सौम्यांशु-पु. भौमांशु- नि० / (उ०) बर्बरकः स्थाने बर्बरका पु० / वर्दको स्थाने वन्दको पु० नि० // 275 (उ.) आवर्तक्या स्थाने आवर्तक्यां पु० नि० / पीठिका स्थाने पीतिका पु० पिच्छिका नि० // 276 (पू०) रक्तपुष्पी स्थाने रक्तपुष्पा पु० नि० / रक्तपुष्पी बिन्दुकिनी स्यान्महाजालिनी च सा स्थाने रक्तपुष्पा दुकिनी स्यान्महाजालिनिका च सा नि० / (उ०) नेत्रपीडा विसर्पणी स्थाने वेत्रमूला विसर्पिणी पु० नि० / 277 (पू०) दृढपादा स्थाने वृद्धपादा नि० / यशस्करी स्थाने यशीश्वरा पु०-ऽऽयसीश्वरा नि० / (उ०) शोता.
SR No.032753
Book TitleNighantu Shesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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