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________________ १४० महावीर की साधना का रहस्य कोई डॉक्टर होता तो स्वास्थ्य के बारे में चर्चा करता, पर मैं डॉक्टर नहीं हूं। कोई पोषणशास्त्री होता तो पोषक भोजन के बारे में चर्चा करता, पर मैं कोई पोषकशास्त्री नहीं हूं । फिर भी साधना जीवन का ऐसा विषय है कि कोई भी विषय उसकी पकड़ से छूट नहीं सकता । हम साधना के किसी एकांगी कोण को लेकर उसके मर्म को छू नहीं सकते । साधक को स्वयं डॉक्टर बनना होता है, स्वयं भोजनशास्त्री और पोषणशास्त्री बनना होता है, सब कुछ बनना होता है । क्योंकि साधना के साथ हमारे शरीर का संबंध है, हमारे मन का सम्बन्ध है, हमारी चेतना का सम्बन्ध है । जहां शरीर और मन का सम्बन्ध है, वहां भोजन के प्रश्न को हम छोड़ नहीं सकते । यह शरीर जो दिखाई दे रहा है, यह मास और हड्डी का स्थूल शरीर भोजन के आधार पर ही बनता है। भोजन क्या करता है ? वह मांस को बनाता है, हड्डी को बनाता है, गर्मी और सक्रियता देता है । ये सब भोजन के काम हैं । भोजन का एक तत्त्व है 'प्रोटीन' । यह हमारे मांस को बनाता है । भोजन का एक तत्त्व है 'क्षार' । यह हमारी हड्डियों को बनाता है। भोजन का ही एक तत्त्व है - चिकनाई आदि । यह हमारी गर्मी और शक्ति को बनाता है । भोजन दो प्रकार का होता है— पोषक भोजन और रक्षक भोजन । घी आदि गरिष्ठ भोजन पोषक भोजन है । यह शरीर को पुष्ट बनाता है । रक्षा करने वाले तत्त्व होते हैं – फल, सब्जी आदि । ये हमारे शरीर के रक्षण में सहयोग देते हैं । भोजन का काम है-मांस का निर्माण, हड्डियों का निर्माण, गर्मी और शक्ति प्रदान करना आदि आदि । यदि भोजन न हो तो शरीर में गर्मी और विद्युत पैदा नहीं हो सकती । विद्युत के बिना शरीर चल नहीं सकता, जैसे कोई भी इंजिन विद्युत के बिना चल नहीं सकता । विद्युत पैदा होती है गर्मी से, ऊष्मा से, अग्नि से । और गर्मी प्राप्त होती है भोजन से । इस तथ्य की पुष्टि के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है । आप दो दिन भोजन छोड़ दीजिए। दो दिन में ही आपके घुटने टिक जाएंगे | सारी ताकत टूटती नजर आएगी। एक दिन उपवास से ही ताकत घटने लग जाती है। पांच-सात दिन की तो बात ही क्या ? भोजन करना और अशन और अनशन – ये दोनों साथ-साथ चलते हैं। उसे छोड़ना - ये दोनों साथ-साथ चलते हैं। कोरा भोजन काम का नहीं है । शक्ति भोजन से प्राप्त होती है पर वह भोजन से कम भी होती है । तो भोजन के भी अपने कुछ विधान हैं। इस विषय में हमें दो बातों पर विचार
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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