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________________ भोजन का विवेक दृष्टियों से रुग्ण हो जाते हैं । ___ शरीरशास्त्र के अनुसार क्रोध, आवेश, स्वभाव का चिड़चिड़ापन विक्षोभ-ये शरीर के रोग हैं। यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाने से ये उत्पन्न होते हैं । यह मात्रा 'एंजाइम' (एक रासायनिक पदार्थ) की मात्रा घट जाने से बढ़ती है और उसकी मात्रा की पूर्ति होते ही यूरिक एसिड की मात्रा घट जाती है । मनुष्य का स्वभाव बदल जाता है । क्रोध हंसी में बदल जाता है । क्रोध के निमित्तों की स्वीकृति कर्मवाद के सिद्धान्त में बाधक नहीं है। आहार वही नहीं है जो हम मुख से खाते हैं । मुख्य आहार है प्राणवायु । उसमें पोषण की क्षमता है इसलिए वह आहार है और वह आहार के परिपाक की शृंखला का एक तत्त्व है इसलिए आहार का आहार है। पूरी श्वास या दीर्घ श्वास लेने वाला व्यक्ति फुप्फुस के विष को बाहर निकालता है और रक्त को विशुद्ध बनाता है साथ-साथ वह शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को भी विकसित करता है । पुराने जमाने में योग के आचार्यों ने इस विषय का साक्षात् किया था और उन्होंने श्वास की अनेक पद्धतियां विकसित थीं। आज वे रूढ़ि-रूप में चल रही हैं । वैज्ञानिक पद्धति भी जानकारी खो जाने पर रूढ़ि बन जाती है । आज के वैज्ञानिक फिर इस विषय में खोज कर रहे हैं । वे श्वास के विभिन्न प्रयोगों द्वारा अनेक रोगों की चिकित्सा में सफल हुए हैं । तापमान का संतुलन और शक्ति-ये दो आहार के प्रयोजन हैं। प्राणवायु दोनों की पूर्ति करती है । आहार का चौथा मानदंड है—अनाहार । आहार और अनाहार का संतुलन रहने पर ही आहार अधिक उपयोगी बनता है । कोरा आहार आहार की उपयोगिता को कम करता है। उपवास का मूल्य केवल आध्यात्मिक नहीं है, शारीरिक भी है । काम को जितनी विश्राम की अपेक्षा है उतनी ही आहार की अनाहार की अपेक्षा है । जो सात्विक रुचि का व्यक्ति है, वह एक प्रकार का भोजन ग्रहण करेगा और जिसकी कामवासनाएं उभरी हुई हैं, वह दूसरे प्रकार का भोजन पसन्द करेगा । भोजन की पसन्द होती है । उसके चुनाव में हमारी रुचि बोलती है । किसी को जांचना हो, परखना हो तो आप उसके भोजन को देख लें । आप उसके पास जाकर बैठ जाएं और देखें कि वह किस प्रकार का भोजन करता है । व्यक्ति की परख हो जाएगी। व्यक्ति की हर प्रकार की गूढ़ भावनाओं को जानने का बहुत बड़ा माध्यम है भोजन ।
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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