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________________ वाक्-संवर-२ १०६. जवाब देते थे । एक पूरी पद्धति मातृका के आधार पर विकसित हुई । पूछने वाला आया, उत्तर देने वाला सामने बैठा है । वह प्रश्नकर्त्ता से कहता है कि प्रश्न करो । प्रश्नकर्त्ता ने अपना प्रश्न लिख कर दे दिया । उत्तर देने वाला देखता है कि किस वर्ण से प्रश्न शुरू हुआ और किस वर्ण से दूरा हो रहा है, इसके मध्य में जितने वर्ण आए हैं उन वर्णों में शुभ वर्ण कितने हैं और अशुभ वर्ण कितने हैं—ये चार बातें हैं । आदि का वर्ण, अंत का वर्ण और मध्य के वर्णों में किनकी बहुलता है इसके आधार पर वह सारे प्रश्नों का उत्तर देता है । यह विद्या यहां रही है और इसका प्रयोग काफी अंशों में होता रहा । वर्णों का योग कोई कम महत्त्वपूर्ण नहीं होता । इस श्लोक में इस बात की सूचना मिलती है अमंत्रमक्षरं नास्ति, नास्ति मूलमनौषधम् । अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः ॥ शक्ति है । ऐसा कोई भी मूल नहीं है, कोई भी पुरुष नहीं है जो योग्य न हो । ना करने वाला दुर्लभ है । उनका योग मिलाने वाला दुर्लभ है ।' 'कोई भी अक्षर ऐसा नहीं है कि जो मंत्र न हो । हर अक्षर में मंत्र की जड़ नहीं है जो कि दवा न हो । ऐसा योजना करने वाला दुर्लभ है । संघ अन्तर और कुछ नहीं है' एक व्यक्ति ने पांच पंक्तियां इस प्रकार योग मिलाकर लिख दीं कि पढ़ने वाले का मन प्रफुल्ल हो उठता है । जो व्यक्ति योग करने में कुशल नहीं है, पांच पन्ने भी भर दिए, पढ़ने वाले पर कोई असर नहीं होगा । यह साहित्य क्या है ? यह काव्य क्या है ? काव्य में और क्या अन्तर होता है ? एक कालिदास है संस्कृत का कवि और दूसरा अन्य कोई साधारण संस्कृत कवि है | क्या अन्तर है कालिदास में और दूसरे में ? केवल वर्णों के विन्यास का अन्तर है । किसमें कितनी की किस प्रकार की योजना करने में समर्थ है ? जो में समर्थ होता है, वह उनमें प्राण भर देता है । जो प्राण भरने में निपुण नहीं होता, वह प्राण भरने के स्थान पर कभी-कभी प्राण हर भी लेता है । शब्द के विषय पर हमें गहराई से ध्यान देना होगा । शब्द रचना, शब्द की पद्धति और शब्द का सूक्ष्मीकरण, यह सारा जप और संकल्प का विषय है । जप और संकल्प की प्रक्रिया को ठीक समझ लेते हैं तो मौन की दिशा में प्रयाण हो जाता है और उससे हम लाभ उठा सकते हैं । क्षमता है ? कौन शब्दों शब्दों की योजना करने
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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