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________________ वाक्-संवर- १ १ इस क्रम से ले सकते हैं —स्थूल, सूक्ष्म, सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम । हम जो बोलते हैं, वह स्थूल ध्वनि है, 'वैखरी' है । 'मध्यमा' सूक्ष्म ध्वनि है । 'पश्यन्ती' सूक्ष्मतर ध्वनि है और 'परा' सूक्ष्मतम ध्वनि है । सूक्ष्म ध्वनि का । आज के विज्ञान को पढ़ने वाला जानता है कि ध्वनियों के बारे में कितना अनुसन्धान हुआ है ? इस विषय में कितनी चर्चाएं हुई हैं ? अभी-अभी कुछ दिन पहले हमने पढ़ा था कि रूस में कर्णातीत ध्वनि का विकास किया गया है । एक नया प्रयोग उन्होंने किया है कर्णातीत ध्वनि का वैसे सूक्ष्म ध्वनि के द्वारा पहले से ही कुछ कार्य चल रहे । जैसे—वस्त्रों का प्रक्षालन, हीरे को काटना आदि-आदि । हीरा हीरे से ही कटता है, अब यह मान्यता पुरानी पड़ गई है । अब हीरा ध्वनि के द्वारा भी कटने लग गया है । सूक्ष्म ध्वनि के द्वारा भी हीरा कट जाता है। अब एक नया प्रयोग और हुआ है कर्णातीत ध्वनि का । किसी व्यक्ति का ऑपरेशन करना है । आप कल्पना कीजिए कि एक रोगी है और उसे ऑपरेशन कराने की जरूरत है । वह ऑपरेशन थिएटर में चला गया। ऑपरेशन की टेबल पर सो गया। डॉक्टर आया । उसके साथ में कोई औजार नहीं है । एक यंत्र चलाया जाता है और उससे सूक्ष्म ध्वनि की तरंगें निकलने लगती हैं । वे ध्वनि की तरंगें कुछ निश्चित वर्तुल में आती हैं । उन ध्वनि तरंगों के द्वारा ऑपरेशन अपने आप हो जाता है । औजार तथा दूसरे उपकरणों की जरूरत नहीं होती । यह अभीअभी सफल प्रयोग किया जा चुका है । हम लोग बहुत सारी बातें सुनते हैं मन्त्रशास्त्र की । मंत्रों में बहुत बड़ी शक्ति होती है । मंत्र का प्रयोग किया और मकान को हिला दिया । मंत्र का प्रयोग करके मकान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा दिया। मंत्र का प्रयोग किया और ताले टूट गए । मंत्र का प्रयोग किया और देवता का आसन प्रकम्पित हो गया । हजारों-हजारों बातें हमारे प्राचीन साहित्य में -- जैन, बौद्ध और वैदिक साहित्य — में भरी पड़ी हैं । ये बातें अविश्वसनीय-सी लगती थीं । भला मंत्र से ताला कैसे टूट सकता है ? मंत्र से मकान कैसे हिल सकते हैं ? मंत्र से कैसे हो सकता है कि एक आदमी खड़ा है, मंत्रवादी चाबुक का प्रहार कर रहा है और वे प्रहार अन्तःपुर में लग रगे हैं । यह कैसे हो सकता है ? असम्भव बातें लगती थीं और नहीं मानने जैसी बातें लगती थीं किन्तु विज्ञान ने सूक्ष्म ध्वनियों का विकास कर यह प्रमाणित कर दिया कि ध्वनि की तरंगों में इतनी बड़ी शक्ति होती है, इतनी बड़ी ताकत होती है जिसकी
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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