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૧૮ શ્રીયદુવંશપ્રકાશ અને જામનગર ઈતિહાસ. (પ્રથમ કળા) बलदेवभैया संगलैया ब्रजकनैया बीचरे ॥ बलीजातमैया नृतकरैया कहतथैया फरीफरी ॥ जय रमनराधा ॥ ६ ॥ पुतनां ज्युमारी नथ्योकारी धेनुचारी प्रीतसे ॥ त्रियगोपतारी वृजबीहारी रमनन्यारी रीतसे ॥ द्विजदेवनारी समजसारी अचलयारी अनुसरी ॥ जय रमनराधा ॥ ७॥ अहीनथ्योकाला जहरबाला सहीतताला नृत्य करे ॥ विषतोयटाला जीयतबाला हरीकृपाला नजरे ॥ गलफूलमाला संगग्वाला बातलाला बांसरी ॥ जय रमनराधा ॥ ८ ॥ वृजकेवीलासी प्रेमपासी वदनहासी मंदज्यु ॥ जुधकेअध्यासी दुष्टनासी जनप्रकासी चंदज्यु ॥ रसरुपरासी नीतहुलासी अरण्यवासी त्रीयतरी ॥ जय रमनराधा ॥९॥ प्रेमीखजीना रंगभीना तिलकदीना भालज्यु । वसुकोपकीना जानदीना राखलीना ग्वालज्यु ॥ ज्याकेअधीना लोकतीना प्रविना सर्वोपरी ॥ जय रमनराधा ॥ १० ॥ वृजनारवाली मुक्तमाली नयनलाली रेखहे ॥ फनीदम्योकाली करीबेहाली त्रीयउताली देखहे ॥ द्रहकीनखाली पीरटाली चरीत्रभाली श्रीवरी ॥ जय रमनराधा ॥ ११ ॥ वनमेविलासा होहुलासा रमतरासा रंगमे ॥ कुलदैत्यनासा करीतमासा अतिउजासा अंगमे ॥ मनीब्रह्मदासा रखोपासा दर्सआशा उरखरी ॥ जय रमनराधा ॥ १२ ॥
॥छप्पय ॥ बाधा हरन ब्रजेश, वेशनर कंजविहारी ॥ ले मुरली नीजहाथ, नाथतारे नरनारी ॥ दिनदिन चरीत्र उदार, भारमही हरण भुजाकर ॥
मनहर नंदकुमार, नारकर प्यार निरंतर ॥ रसरूप भूप राधारमन, अजबछबी बनी आजकी ॥ कहे ब्रह्ममुनी ममउरसदा, रहामूर्ति ब्रजराजकी ॥ १।' .