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________________ ૩ર૬ શ્રીયદુવ ́શપ્રકાશ विधी ॥ आयगये बोत फेर, आवेगे बाहीमागमे पाग, ओर गंगोदक लाए, श्रीमातको नवाये ताको तो अपार पुन्य, जुग जुगलो आप तो निःपाप भये, वाको तो अचंभो आपके दरश पाप, ओरनको टरेगो ॥ ७ ॥ फुरेगो ॥ कहा | कवित ॥ अनेक ॥ श्रीकाशीक्षेत्रमां दानपुन्य कर्यु ते विषे दीने गौदान केते, थान थान विभा हाथी रथ घोडे साज, दीने अति काशी में सुथान कीनो, शंकरको जानत जीहांन आन, पुरन करीअंग, मनंग खडग, खम, चक्र, अष्ट भुजा धारनीसु, कोन भाल चंद बाल वाहन प्रभावहीं ॥ आपतुला हीरामनी ॥ ओपत अनंगरंग, जोप जदुराव हीं ॥ बासन विचीत्र चीत्र, पाटंबर जरी के ते ॥ बिभा जाम दीये, एते गीने नहिं जावहीं ॥ ८ ॥ || श्रीगंगाकिनारे विंध्यवासिनी देवीस्तुता ॥ कंसके विनास आस, गोपमे प्रकाश भयी ॥ विंध्याचल वासीनीसु, गंगातट बासनी || (अथभपड) भूप ॥ धारेगो ॥ शूल, धनु, बान, सेल, पास, ॥ बिनासनी ॥ कष्टकी माल गले लाल, बिसाल सिंह, मेटे जाम ॥ भावहीं ॥ शोभमान || मुंडनकी ॥ भवत्रासनी ॥ जाम विभा ॥ प्रकासिनी ॥ ९ महा जगदंबजुको कीनो, द्रष जाकी हे अखंड जोत, जकतमें दोहा - तीरथकर घर आविया | जदुपत विभो जाम ॥ रणमलसुत नरलोकमें । बभे राखीयो नाम ॥ १ ॥ ओगणीसें उणत्रीसमें । सहर पधारे शाम ॥ पोषमास पुरण तीथी। सोमवार शुभता || २ |
SR No.032687
Book TitleYaduvansh Prakash ane Jamnagarno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMavdanji Bhimjibhai Rat
PublisherMavdanji Bhimjibhai Rat
Publication Year1934
Total Pages862
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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