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________________ શ્રીયદુવ’શપ્રકાશ (अथभप3) પણ તે જમીન મક્ષીસ અપાવી તે કાંઇ સાધારણ વાત નથી, દેવતા (જમીન)ના લાભ છેડી શકયા નથી, તેા મનુષ્યા શુ હિંસામાં? પરંતુ દાતારોને મન, ભૂમિદાન આપવું તે જરાપણ દુર્લભ નથી. તે વિષેનાં કાવ્યેા.— ३२० छप्पय - जमीस कारण जुवो, सुर आसुर अहडिया || जमीस कारण जुवो, भीम दुरजोधन भडिया || जमीस कारण जुवो, केगइ राम बन काढये ॥ जमीस कारण जुवो, वंश क्षत्रि द्विज वाढये ॥ आदस अनाद वसुधा असि, सुरअसुर इच्छे समी ॥ वडहथह जामविभा विना, जावण कुंण आपे जमी ॥ १ ॥ हरिहर भुमि लता लपटाइ, बोलत कोकिल मोरे || बाजत बिन पखावज बंसी, गान होत चहु ओरे ॥ जामसुता छबि निरख अनोखी, वारुं काम किरोरे ॥ (३) प्रितम हमारो प्यारो श्याम गिरधारी है । मोहन अनाथनाथ संतन के बेदगुण गावे गाथ, गोकुल कमल विशाल नैन निपट दिनन को सुख दैन, चार केशव क्रपानिधान, वाही सो हमारो ध्यान ॥ तन मन वारुं प्रान जीवन मुरारी है ॥ सुमि में सांजभौर बार बार हाथ जोर ॥ कहत प्रतापकर जामकी दुलारी है ॥ ४ ॥ प्रितम प्यारो चतुरभुज वारोरी हीयतें होतन न्यारो मेरे जीवन नंद दुलारोरी | जामताको है सुखकारी, साचो श्याम हमारोरी । ५॥ भजु मन नंदनंदन गिरधारी डोले साथ ॥ विहारी है। बैन || भुजा धारी है । रसिले सुखसागर करुणा को आगर, भक्त वछल बनवारी ॥ मीरां, करमां, कुबरी, शबरी, तारी गौतम नारी ॥
SR No.032687
Book TitleYaduvansh Prakash ane Jamnagarno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMavdanji Bhimjibhai Rat
PublisherMavdanji Bhimjibhai Rat
Publication Year1934
Total Pages862
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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