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जालोर का मंत्री यशोवीर
तेरहवीं शताब्दी में जालोर में यशोवीर नाम के तीन नामाङ्कित व्यक्ति हुए हैं। तीनों धनवान, धर्मिष्ठ और राज-समाज में प्रतिष्ठित प्रभावशाली पुरुष थे। प्रथम यशोवीर श्रीमाल यशोदेव के पुत्र थे जिन्होंने महाराजा समरसिंह के समय सं० १२३९ में आदिनाथ जिनालय का रमणीय मण्डप बनवाया। दूसरे भां० पासु के पुत्र भां० यशोवीर थे जिन्होंने सं० १२४२ में महाराजा समरसिंह के आदेश से 'कुमर विहार' का जीर्णोद्धार कराया था। तीसरे यशोवीर का यहाँ परिचय कराना अभीष्ट है।
जालोर के इतिहास में मंत्री यशोवीर का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य है। उस पर सरस्वती और लक्ष्मी की समान कृपा थी। राजनीति के क्षेत्र से भी वह धर्मनीति और दानवीरता में किसी प्रकार न्यून नहीं था। इसके पिता धर्कट वंशीय दुसाध उदयसिंह और माता का नाम उदयश्री था। जिनहर्ष कृत वस्तुपाल चरित्र में मंत्री यशोवीर के सम्बन्ध में विस्तृत उल्लेख हैं। वह चौहान राजा समरसिंह व उदयसिंह का मंत्री था। उसके निर्माण कराई हुई देवकुलिकाएं आवू तीर्थ की विमलवसही और लूणिगवसही में है, जिनके लेख इस प्रकार हैं :
(१) संवत् १२४५ वर्षे वैशाख बदि ५ गुरौ श्री यशोदेवसूरि शिष्यः श्री नेमिनाथ
प्रतिमा श्री देवचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठिता। श्रीषंडेरक गच्छे दुसा० श्री उदय सिंह पुत्रेण मंत्री श्री यशोवीरेण मातृ दु० उदयश्री श्रेयोऽर्थ प्रतिमा सतोरणा सद्देवकुलिका कारिता श्रीमद्धर्कट वंशे ।
(२) द० ॥ सं० १२४५ वर्षे। श्रीषंडेरक गच्छे महति यशोभद्रसूरि सन्ताने ।
श्री शांतिसूरि रास्ते तत्पाद सरोज युग भृगः ॥१॥ वितीर्णधन संचयः क्षत विपक्ष लक्षाग्रणीः कृतोरु गुरु रैवत प्रमुख तीर्थ यात्रोत्सवः । दधत क्षिति भृतां मुदे विशदधीः सदुःसाधतामभूदुदय संज्ञया विविधवीर चूडामणि ॥२॥ तदंगजन्मास्ति कवीन्द्र बन्धु मंत्री यशोवीर इति प्रसिद्धः । ब्राह्मी रमाभ्यां युगपद् गुणोस्य विरोध शान्त्यर्थ मिवाश्रितोयः ॥३॥ तेन सुमतिना जिनमत
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