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________________ ( ४१ ) (५) साधुके लिये परिग्रह रखना मना है । जैन मतानुसार काच भी परिग्रह है । इसलिये तेरापन्थी साधु चश्मा ऐनक, ( Spectacles ) नहीं रखते, अन्यान्य धातु निर्मित वस्तुओंकी तो बात ही दूर रही। साधुके लिये शास्त्रमें वस्त्रके विषय में भी विधि नियम है । साधु सफेद वस्त्रका ही यथा-परिमाण व्यवहार करते हैं। निर्दिष्ट मूल्यसे अधिक मूल्यके वस्त्रादिका दान ग्रहण नहीं करते । अपने लिये कोई खाद्य एवं पानीय वस्तु, वस्त्र, पुस्तक, कागज तैयार नहीं कराते, मोल नहीं खरीदाते या अपने यहां arat दिया हुआ भी पदार्थ नहीं लेते । (६) तेरापन्थी साधु अपने शिरके केश तथा दाढ़ी मूछें उस्तुरे या कैंचीसे नहीं उतराते | उन्हें सालमें दो बार केशोंका लोच करना पड़ता है । लोचका परीषद कितना कठोर है यह पाठक अनुमानसे ही समझ सकते हैं। (७) तेरापन्थी साधु जूती, मोजे, स्लिपर, पादुका आदि कुछ नहीं पहिनते । कड़ी गरमी में भी उत्तप्त बालू या पहाड़ी जमीन पर और भयानक शीतके समय ठंडी जमीन पर नंगे पैर ही वे विचरण करते हैं । (८) तेरापन्थो साधु दातव्य - औषधालय से औषध नहीं लाते । कोई श्रद्धालु वैद्य या डाकर अपनी दवाइयोंमें से कोई दवा स्वेच्छासे दान करे तो साधु ले सकते हैं। आवश्यकता होने से किसी डाक्टर से अस्त्रादि मांगकर यदि सम्भव हो तो साधु द्वारा ही अस्त्रोपचार कराते हैं । किसी डाकर के द्वारा या अस्पतालमें जाकर दूसरे से अस्त्रोपचार नहीं कराते । 1 ( ६ ) अहिंसामय जैनधर्मके उपासक तेरापंथी साधु बिजलीका पंखा या हाथ पंखा, बिजली की रोशनी, लालटेनकी रोशनी या किसी अन्य प्रकारकी अप्राकृतिक रोशनी या हवाको व्यवहार में नहीं लाते। सर्दीके समय न तो अग्नि या सिगड़ी घर में रखते और न अग्नि ताप ही लेते हैं। नदी, कुंआ, तालाब आदिका जल सचित - सजीव होने के कारण साधु नहीं ले सकते । हिंसा मूलक कोई भी कार्य करना, कराना व अनुमोदन करना, बिलकुल मना है । ६
SR No.032674
Book TitleJain Shwetambar Terapanthi Sampraday ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Terapanthi Sabha
PublisherMalva Jain Shwetambar Terapanthi Sabha
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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