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________________ ( ३५ ) . समयमें दस दिन आहार लेते बाकी २० दिन दो दो दिनका निरन्तर उपवास करते । इस प्रकारकी तपस्या वे निरन्तर २३ वर्षों तक करते रहे अर्थात् सं० १६७२ तक यह तपस्या-क्रम जारी रहा। इसके बादसे उन्होंने तेले तेले तपस्या करना शुरू किया अर्थात् तीन दिन लगातार उपवासके बाद एक दिन आहार करते। यह तपस्या उन्होंने ३॥ वर्षों तक की। इन तपस्याओंके सिवा उन्होंने ओर भी तपस्याएँ की थीं। उनका विवरण निम्न प्रकार है :उपवास दिन संख्या उपवास दिन १०० - संख्या 'rror , v u | स्वामी चुन्नीलालजीने इन तपस्याओंके अतिरिक्त 'लघु संघकी' तपस्या भी की। इस तपस्याकी चार श्रेणियाँ होती हैं। प्रत्येक श्रेणीके १८७ दिनों में १५४ दिन उपवास और ३३ दिन आहार ग्रहणके रहते हैं। प्रथम श्रेणीमें पारणेके दिन तपस्वीने विगह लिया था । दूसरी श्रेणोमें विगह नहीं लिया, तोसरी श्रेणीमें पारणेके दिन उन्होंने लेपका प्रयोग नहीं किया। 'लघुसंघ' तपस्या बड़ी ही कठिन तपस्या है। इसमें उपवाससे आरम्भ कर क्रमशः ६ दिनके निरन्तर उपवास करने तक पहुंच जाना पड़ता है। उपवास, बेले, तेले आदि प्रत्येकके बाद एक दिन पारण करना पड़ता है।
SR No.032674
Book TitleJain Shwetambar Terapanthi Sampraday ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Terapanthi Sabha
PublisherMalva Jain Shwetambar Terapanthi Sabha
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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