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इन तपस्वी साधुका देहावसान चैत सुदी ७, सं० १६११ में हुआ। एक सो वर्ष पहिले किए हुए उपवासोंमें से ये कुछ नमूने हैं। हालके तपस्वियोंमें श्री चुन्नीलालजी महाराज, श्री रणजीतमलजी महाराज तथा श्री आशारामजी महाराजके नाम प्रमुख तपस्वियोंमेंसे हैं। ___ स्वामी श्री चुन्नीलालजी महाराज सरदार सहर (बीकानेर ) के थे। वे नाहटा वंशके ओसवाल थे। सं० १६४० में उनकी दीक्षा हुई थी। सं० १६४४ से उन्होंने एकान्तर ( एक दिनके बाद एक दिन ) तपस्या करनी शुरु की। छः वर्षों तक यह एकान्तर तपस्या जारी रही । सं० १९५० से उन्होंने बेले २ तपस्या शुरू की। दो दिनकी तपस्याके बाद पारणा करते और फिर दो दिन उपवास करते। इस प्रकार एक मासके