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[ ७४ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क १६ यज्ञोपवीतधारणविधिवर्णनम्
४१८७ शुद्ध होकर आचमन कर आसन पर बैठे फिर आचार्य, गणनाथ, वाणीदेवता, देवता, ऋषिगण और पितरों का स्मरण करे। भगवान्, ब्रह्मा, अच्युत और रुद्र को भक्ति से नमस्कार करे, नवों तन्तुओं में आवा
हन कर यज्ञोपवीत का धारण करे (१-६३) । १७ यज्ञोपवीतमन्त्रस्य ऋषिच्छन्द आदीनां वर्णनम् ४१६३
यज्ञोपवीत मन्त्र के ऋषि छन्द देवता आदि का विस्तार से वर्णन ( १-३१)। १८ सप्रयोजनकुशलक्षणवर्णनम्
४१६६ कुशों के विना कोई भी नित्यनैमित्तिक क्रिया का सम्पादन शक्य नहीं अतः कौन सी ग्राह्य है और कौन
सी अग्राह्य है इसका निरूपण ( १-१३१ )। १६ व्याहृतिकल्पवर्णनम्
४२०६ व्याहृतियों का विस्तार से निरूपण (१-४८)। व्याहृतियों से सम्पूर्ण कार्यसिद्धि शक्य है (४६)।
॥ भारद्वाजस्मृति की विषय-सूची समाप्त ।।