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[ ७३ 1 अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क १० गायत्र्या मन्त्रार्थकथनम् ।
४०४३ गायत्री के मन्त्र का अर्थ का विस्तार से निरूपण (१-६)। ११ गायत्र्याः पूजाविधानकथनम्
४०४४ गायत्री का पूजा विधान (१-११८)। गायत्री पुष्पाञ्जलि का प्रकार (१११-१२१)। १२ गायत्रीध्यानवर्णनम्
४०५६ गायत्री का ध्यान वर्णन (१-६१)। १३ गायत्रीमूलध्यानवर्णनम्
४०६३ ___ गायत्री का मूलध्यान और महाध्यान का वर्णन (१-४४)। १४ पूजाफलसिद्धये द्रव्यगन्धलक्षणवर्णनम् ४०६६
पूजाफल की सिद्धि के लिये नाना द्रव्य, गन्धलक्षण का विस्तार से निरूपण (१-६४)। १५ यज्ञोपवीतविधिवर्णनम् ।
४०७२ यज्ञोपवीत की विधि का वर्णन-निवीत और प्राचीनावीत का लक्षण। शुद्ध देश में कपास का बीज बोया जावे, उसके तैयार होनेपर ही ब्रह्मसूत्र को विधिवत् बनाया जाय । नाभि के बराबर ६६ छियानवे चार हस्ताङ्गुल प्रमाण से बनाकर शुद्ध मन से देवगण ऋषियों का ध्यान करते हुए इस ब्रह्मसूत्र को पहने ( १-१५४ )।