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[ ७० । अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क १२ कृच्छ्रादिस्वरूपकथनम्
३०८३ प्रायश्चित्तविधि (१-४)। कृच्छादि का स्वरूप कथन (५-८)। ब्राह्मण महिमासमस्तसम्पत्समवाप्तिहेतवः समुत्थितापत्कुलधूमकेतवः । अपारसंसारसमुद्रसेतवः पुनन्तु मां ब्राह्मणपादपांसवः ।। (६-१६)। आङ्गिरस (२) के उत्तराङ्गिरस प्रकरण की विषय-सूची
समाप्त।
भारद्वाजस्मृति के प्रधान विषय १ भारद्वाजम्प्रति सन्ध्यादिप्रमुखकर्मविषये भृग्वादिमुनीनां प्रश्नः
३०८५ भारद्वाज मुनि से भृगु, अत्रि, वशिष्ठ, शाण्डिल्य, रोहित आदि महर्षियों ने नित्यनैमित्तिक क्रियाओं को लेकर प्रश्न किया (१-७)। उन्होंने बतलाया कि नित्यानुष्ठानों के न करनेवालों की सभी क्रियायें निष्फल होती . है। दिशाओं के निर्णय से लेकर प्रायश्चित्त तक ... २५ अध्यायों का संक्षेप से निरूपण (८-२०)।