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पृष्ठाङ्क
[ ६८ ] अध्याय
प्रधान विषय ५ प्रायश्चित्तनियन्तृकथनम्
३०७१ दशावरापरिषद् (१)। चतुर्वेद्य (२)। विकल्पी (३)। अङ्गवित् (४)। धर्मपाठक (५)। आश्रमी (६)। ब्राह्मणों की परिषद् आगे प्रायश्चित्त नियन्ताओं
का वर्णन बताया है (१-१४)। ६ प्रायश्चित्ताचारकथनम्
३०७२ प्रायश्चित्त के आचार का वर्णन (१-१५)। ७ पापपरिगणनम्
३०७३ . जानते हुए भी प्रायश्चित्त का विधान पूछने पर ही करे ( १-२)। पापपरिगणन ( ३-७ )। पञ्चमहापात
कियों का वर्णन (८)। पतितों का वर्णन (८-8)। ८ शूद्राबस्य गर्हितत्ववर्णनम्
३०७५ प्रतिग्रह में प्रायश्चित्त (१)। शूद्रान्न के भोजन में प्रायश्चित्त (२)। शूद्र की प्रशंसा कर स्वस्तिवाचन में प्रायश्चित्त (३-५)। प्रतिग्रह लेकर दूसरों को दे दे (६)। शूद्रानरस से पुष्ट वेदाध्यायी का प्रायश्चित्त (७)। शूद्रान्न छै मास तक खाने से शूद्र के समान हो जाता है एवं मरने पर कुत्ता होता है (८)। सारी उम्र खानेवाले को भी शूद्र ही होना पड़ता है (8)। प्रति