________________
अध्याय
पृष्ठांक
( २८ )
प्रधान विषय वेणुपत्रदलाकारं वैष्णवं तिलकं स्मृतम् । अर्द्ध चन्द्रं तथा शैवं शाक्तेयन्तिर्यगुच्यते ॥३१॥ चतुः कोणमितिस्पर्ष विकरालमुदाहृतम् । पैशाचं विन्दुसंयुक्तं तिलकं धर्मनाशनम् ॥३२॥ नैमित्तिक कर्म करने का प्रकार, प्राणायाम, त्रैकालिक सन्ध्याविधि वर्णन, तर्पण, देवपूजाविधान, बलिवैश्वदैव, भोजनविधि, श्वकाकोच्छिष्ट भक्षण
प्रायश्चित्त (१–२११)। ३ नैमित्तिकश्राद्धविधिवर्णनम्
२३७५ नैमित्तिक श्राद्ध यथा पिता की मृत्यु की तिथि पर जो श्राद्ध किया जाय उसे एकोद्दिष्ट श्राद्ध कहते
हैं। उनका वर्णन (१-७६)। ४ श्राद्धवर्णनम्
२३६६ अमावस्या, संक्रान्ति,व्यतीपात, गजच्छाया, सूर्य और चन्द्रग्रहण में स्नान करने का विधान और
महत्त्व बताया गया है । (१–१६४ )। ५ श्राद्धवर्णनम्
२३८४ आमश्राद्ध.अर्थात् सत्तू, गुड़, पिण्याक, दूध इन