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अध्याय
पृष्ठांक
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प्रधान विषय लाने एवं अन्नप्राशन, चूड़ाक' उपनयनादि
संस्कारों का वर्णन (१-१६६)। ४ गृहस्थधर्मवर्णनम्
२१६५ विद्याध्ययन से स्नातक होकर वैष्णवधर्म के अनुसार नैष्ठिक ब्रह्मचारी का वर्णन और आठ प्रकार के विवाहों का व विधि का वर्णन तथा गर्भाधान,
सीमन्तोन्नयन एवं पुंसक्न आदि का कथन (१-१३१) ५ स्त्रीधर्मवर्णनम्
२१७८ पतिव्रता स्त्री का आचरण व दिनचर्या तथा पातिव्रत का माहात्म्य, यथाशीलभेव तु नारीणां प्रधानं धर्म उच्यते । शोलभंगेन नारीणां यमलोकं सुदारुणम् । (२) नास्ति स्त्रीणां पृथग्ज्ञानं न व्रतं नापि पोषणम्। पतिशुश्रूषणे तासां स्वर्गमेवाभिधीयते ॥ (३)
. (१-८३) ६ नित्यनैमित्तिकविधिवर्णनम्
२१८६ वैष्णव धर्म के अनुसार नित्यनैमित्तिकविधि का वर्णन और भगवान की पूजन का विधान, साथ ही उत्सव मनाने का माहात्म्य और उत्सवों