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________________ ( ३ ) अध्याय प्रधान विषय पृष्ठांक ८ संस्कारवर्णनम् १८८६ संस्कृत जीवन की गरिमाद्वौलोके धृतव्रतौ राजा ब्राह्मणच बहुश्रुतस्तयो श्चतुर्विधस्य मान्यजातस्यान्तः सज्ञानाञ्चलन पतनसर्पणामायत्तंजीवनं प्रतिरक्षणमसंकरोधर्मः। जिसका संस्कार होता है उसमें सभी उदात्तगुणों का आधान होने से ब्राह्मी तनु की प्राप्ति का अधिकार आ जाता है। कर्तव्याकर्तन्यवर्णनम् १८६० स्नातक गृहस्थ जीवन का प्रवेशार्थी है वह विधि विहित विद्या का साङ्गोपांग अध्ययन कर भविष्य के गुरुतर उत्तरदायित्व को वहन कर आदर्श रूप से कर्तव्य पालन करता हुआ अपना, समाज का,राष्ट्र का हित-सम्पादन करता है-स्नातक की आदर्श दिनचर्या उसके नियम और आचार का वर्णन। सत्यधर्मा आर्यवृत्त शिष्टाध्यापक शौचशिष्टः श्रतिनिरतः स्यान्नित्यमहिंस्रो मृदुदृढ़कारी दमदान शील एवमाचारो मातापितरौ पूर्वापरान्सम्बन्धान
SR No.032670
Book TitleSmruti Sandarbh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages720
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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