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अध्याय
( २ ) प्रधान विषय
पृष्टांक ४ विवाहप्रकरणवर्णनम्
१८८४ विवाह प्रकरण में आठ प्रकार के विवाह और उनके लक्षण । उनमें ४ ब्राह्म, आर्ष, प्राजापत्य और दैव ये धार्मिक विवाह हैं इन धार्मिक विवाहों से
उत्पन्न सन्तान अपने पूर्वजों का उपकार करती है। .. ५ गृहस्थाश्रमवर्णनम्
१८८७ गृहस्थाश्रम में गृहस्थ के कर्तव्य और गृहस्थाश्रम का वर्णन। षोडश मातृका
ऋतावुपेयात्सर्वत्र वा प्रतिषिद्धवर्जम् । ६ गृहस्थाश्रमकर्तब्यवर्णनम्
१८८७ ७ आपद्धर्मवर्णनम्
१८८६ आपत्कल्पो ब्राह्मणस्याब्राह्मणाद्विद्योपयोगोऽनुगमनं शुश्रूषा समाप्तामणो गुरुयोजनाध्यापन प्रतिग्रहाः सर्वेषां पूर्वःपूर्वो गुरुस्तदलामे क्षत्रवृत्तिस्तदलामेवैश्यवृत्तिः। आपत्काल में वर्णाश्रमी दूसरे वर्ण के कर्म को भी कर सकता है।