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( ष ) झा से आशातीत साहाय्य मिला तदर्थ वे धन्यवाद के पात्र है। इसी प्रकार सर्वश्री एस० के० सरस्वती एम० ए० पुस्तकालयाध्यक्ष, एसियाटिक सोसाइटी बङ्गाल, कलकत्ता एवं स्वनामधन्य हमारे समाज के रत्न श्रीकालीप्रसादजी खेतान बार एट लॉ उपसभापति एशियाटिक सोसाइटी एवं श्री सूरजमल गुप्त ( मंत्री गुरुमण्डल ) श्रीरमेश सिंहजी जायसवाल प्रधान सदस्य (गुरुमण्डल) तथा अन्य गुरुमण्डल के सदस्यों तथा श्री पं० कजोड़ीलाल मिश्र
और पं० रामनाथ दाधीच एवं पं० ब्रह्मदत्तजी त्रिवेदी शास्त्री एम० ए० ने समस्त स्मृतियों का संकलन और पारायण कर हमें पूर्ण सहयोग देकर अपनी सहृदयता का परिचय दिया उन्हें हम साभार शुर्भाशीवाद एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हैं । अभी मद्रास गवर्नमेण्ट ओरियण्टल मैन्युस्क्रिप्ट लाइब्ररी, अड्यार लाइब्रेरी (थियोसोफीकल सोसाइटी ) मद्रास और मैसूर गवर्नमेण्ट मैन्युस्क्रिप्ट लाइब्रेरी से हस्त लिखित स्मृतिग्रन्थों की प्रति लिपियां मंगवाई जा रही हैं जो हमें अप्रत्याशित सफलता देगी। ... संसार की मर्यादा और सुख मङ्गलमय स्थिति के लिये सञ्चिदानन्द भगवान् के दो आदि विमर्श ब्रह्म और क्षात्रबल हैं । ब्राह्मी-शक्ति ज्ञानवती है महालक्ष्मी क्षात्र-शक्ति पालन-पोषण करनेवाली है।
नाब्रह्मक्षत्रमृध्नोति नाक्षत्रम्ब्रह्मवर्धते ।
ब्रह्मक्षत्रश्च सम्पृक्ताविहामुत्र परत्र च॥ इन दोनों शक्तियों के सम्मिलित साधन से ही संसार का