SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( स ) कल्याण शक्य है। प्रायः धनवान् लोगों में विद्या-शक्ति का विकास स्वल्प मात्रा में देखा जाता है इसी प्रकार विद्वानों के पास धन-शकि की समर्घता देखने में कम आती है। परन्तु "श्रीसुन्दरीसाधनतत्पराणां, योगश्च मोक्षश्च करस्थ एव"। भगवती महाविद्या के उपासकों को धनशक्ति और ज्ञानशक्ति दोनों का समकालीन विस्तार रहता है। जैसे समाधि वैश्य को भगवती की आराधना से धनशक्ति के अनन्तर ज्ञानशक्ति का उदय हुआ। इसी प्रकार गुरुमण्डल के सभापति श्रीमान् सेठ मनसुखरायजी मोर को श्रीविद्या की उपासना से धनशक्ति के साथसाथ ज्ञानशक्ति का विकास हो रहा है। उसी माता से प्रार्थना है कि इनमें दीर्घायुष्य के साथ-साथ धनशक्ति और ज्ञानशक्ति उत्तरोत्तर विकसित होती जाय और इनकी ये दोनों शक्तियां देश और जाति के अभ्युदय और निःश्रेयस् के लिये बनी रहे। __सांस्कृतिक जीवन वही है जिससे ईश्वर का ज्ञान हो । भारत वर्ष सृष्टिकाल से ईश्वरपरायण तथा सांस्कृतिक जीवनीवाला एवं सारे संसार का विश्वासपात्र और सम्मानपात्र रहा है। इस देश को सम्मान और विश्वासपात्रता स्मृतियों के अनुसार सांस्कृतिक जीवनी से प्राप्त हुई है। उन स्मृतियों को एकत्रकर स्मृतिसन्दर्भ ग्रन्थ बनाकर संसार को सांस्कृतिक जीवन का रसायन अर्पण करते हैं। संसार के कल्याणार्थ प्रभु हमें सद्बुद्धि प्रदान करे। -राजगुरु हरिदत्त शास्त्री.
SR No.032670
Book TitleSmruti Sandarbh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages720
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy