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प्रधानविषय
अध्याय
१०प्र० ३ याप्यकर्मणापेतस्थनिष्क्रयार्थ जपादिनिरूपणम |
२५०४ प्रायश्चित्तविधिवर्णनम् ।
अयाज्य याजन जिसका दान नहीं लेना उसका दान लेना इत्यादि कर्मों का प्रायश्चित, जप आदि का निरूपण ( १-१८ ) i
१५०४ चक्षुः श्रोत्रत्वग्घ्राणमनोन्यतिक्रमादिषुप्रायश्चित्तम् ।
१८६३
विवाहात्प्राक्कन्यायारजोदर्शने दोषनिरूपणम् १८६५
प्रकीर्ण प्रायश्चितों का वर्णन है, यथा जिस अंग से जो पाप किया गया उनका पृथक् पृथक् प्रायश्चित्त तथा संकीर्ण पापों का प्रायश्चित्त (१-३२ ) ।
प्रायश्चित्त की विधि बताई है ( १ -२० ) ।
३५०४ प्रायश्चिचविधिवर्णनम् ।
पृष्ठाडू
१८६१
१८६७
१८६६
छोटे छोटे पापों का प्रायश्चित्त एवं विधि । अघमर्षण सूत तथा कूष्माण्डी मन्त्रों से प्रायश्चित्त ( १-१६ ) ।