________________
अध्याय
बौधायन स्टा
. [१] .
प्रधानविषय पौधायन स्मृति के प्रधान विषय १प्रश्न१ सशिष्टधर्मवर्णनम् ।
१७६७ आरट्टकादिनिषिद्धदेशगमनेप्रायश्चित्तम् । १७६१ बौधायन स्मृति में धर्म की प्रधानता अर्थ की गौणता प्राचीन वैदिकाचार का वर्णन है। इसमें मुख्य तीन प्रश्नों का निर्णय है.। प्रथम प्रश्न“उपदिष्टोधर्मःप्रति वेदम् "वस्यानुन्याख्यास्यामः" "स्मार्तो द्वितीयः" "तृतीयःशिष्टागमः"। "उपदिष्टो धर्मः प्रतिवेदम्" इसकी व्याख्या १२ अभ्यायों में क्रमशः वर्णन की गई है। "शिष्टागम" की परिभाषा स्वयं बौधायन ने की है। “विगतमत्सरनिरहंकारकुम्भीधान्या अलोलुपदम्मदपलोभमोहक्रोधविवर्जिताः" धर्म का ज्ञान वेदों से होता है। वेद के अभाव में स्मृति ग्रन्थों से शिष्ट.पुरुषों द्वारा परिषद् का निर्णय। परिषद् का निर्णय इस प्रकार बताया हैचातुर्वैद्य विकल्पी च अङ्गविद् धर्मपाठकः । आश्रमस्थास्त्रयो विप्राः पर्षदेषा दशावरा ॥