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________________ अध्याय [ ८० ] प्रधानविषय २३ श्राद्धप्रकरणवर्णनम् । श्राद्ध कर्म की विधि एवं उसका माहात्म्य । इसे विधि पूर्वक करनेवाले की सब कामना सफल होकर सायुज्य मुक्ति होती है तथा पितरों की प्रसन्नता से वह सम्पूर्ण कामनाओं को प्राप्त कर ज्ञाननिष्ठ होता है ( १ - ११३ ) । २४ श्राद्धोपयोगिप्रकरणवर्णनम् । १७५३ पृष्ठाङ्क १७६४ श्राद्ध करने का माहात्म्य । जो व्यक्ति क्षयाह में आलस्य वा प्रमाद से माता पिता का श्राद्ध विधिवत् नहीं करता है उसके पितर उस सन्तान से जैसे निराश होते हैं वैसे ही वह सन्तान भी अधोगति को प्राप्त होती है। जो माता पिता का विधिवत् अर्थात् श्राद्ध करने की जो विधि बताई है जैसे योग्य ब्राह्मण श्राद्ध में निमन्त्रित किये जाते हैं उस पूर्ण विधि से जो श्राद्ध करता है उसके पितर तृप्त होते हैं । वह पुरुष आत्मनिष्ठ होकर स्वयं इस संसार से तरजाता है एवं दूसरों को भी तार देता है ( १-३१ ) ।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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