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[ ७४ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क मध्याह्न संध्या तथा सूर्योपस्थान की विधि (४०-६८)। अग्निहोत्र की विधि तथा स्त्री के साथ ही अग्निहोत्र कर्म हो सकता है (६६-७२.)। वेदाध्ययन की विधि (७३-६०)। तर्पण विधि (६१-११३)। श्राद्ध कर्म, बलि वैश्वदेव, हन्तकार एवं श्राद्धकाल का वर्णन ( ११४-१४२)। पञ्चमहायज्ञ, मधुपके विधान, वैश्वदेव तथा काशी में शरीर त्याग से मुक्ति का होना बताया है ( १४३-१८६ )। स्थालीपाकप्रकरणम्-
१७०१ स्थाल्यादीनांप्रमाणं, पूर्णपात्रस्थापनादिकर्मनिरूपणम्
१७०३ आज्योत्पवन नु वसंस्कारादिकमाभिधानवर्णनम्१७०५ अग्नेरुपस्थानादिकर्मवर्णनम्-. १७०७ इस सम्पूर्ण अध्याय में स्थालीपाक यज्ञ का साङ्गोपाङ्ग विधान है। जो सामयिक गृहस्थी होते हैं उनको स्थालीपाक यज्ञ के पूर्व दिन पूर्णमासी को प्रायश्चित कर संकल्प करना चाहिये कि मैं कल स्थालीपाक यज्ञ करूँगा। अन्वाधान कर स्थालीपाक यज्ञ की एक हाथ चौरस वेदी बनाकर गोबर