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अध्याय
[ ६५ ] प्रधानविषय
पृष्ठा गोचर्मलक्षणं पृथिवीदानफलवर्ण नम्। १६११ सफलं नीलवृषभलक्षणं,भूमिहर्तुनिन्दावर्णनम् १६१३ अन्यायेनभूमिहरणेफलं
कन्यानृतादिविषयेदोषनिरूपणफलम् १६१५ तडागादिनिर्माणफलाभिधानम् १६१७ इन्द्र ने शत यज्ञ समाप्त कर गुरु बृहस्पति से दान माहात्म्य एवं उत्कृष्ट दान पूछा । उत्तर में गुरु वृहस्पति ने सुवर्ण दान और भूमिदान का माहात्म्य बताया किन्तु भूमिदान सुपात्र विद्यावान तपस्वी ब्राह्मण को ही देना बताया, अपात्र (मूर्ख अवपस्वी) को देने से पाप भी बताया है (१-८१)।
लघुव्यास स्मृति के प्रधान विषय १ सफलं स्नानविधिवर्णनम्---- १६१८ सफलं सन्ध्याकर्तन्यवर्णनम्
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प्रातःकाल ब्राह्म मुहूत में स्नान करना चाहिये। मान के पूर्व जिन वृक्षों के दतौन करने हैं उनका नाम तथा सूर्योपखान सन्च्या प्रति दिन करने का