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________________ [ ६६ ] अध्याय प्रधानविनय पृष्ठाङ्क आदेश, बिना सन्ध्या किये जो कुछ पूजा दान करे वह निष्फल होता है (१-३१)। २ कर्तव्यकर्मविशेषवर्णनम् १६२१ शरीरशुद्धिवर्णनम् १६२३ नित्यकर्मवर्णनम् १६२५ पञ्चमहायज्ञवर्णनम् १६२७ भोजनाचनेकप्रकरणवर्णनम् १६२६ नित्यकर्म का विधान, देव यज्ञ, पितृ यज्ञादि पञ्च यज्ञ, जप करने की विधि तथा जपमाला कंसी और किस वस्तु की होनी चाहिये यह बताया गया है। तीर्थस्नान एवं अघमर्षण सूक्त का माहात्म्य । शिवपूजन मन्त्र, वैश्वदेव कर्म भूतबलि, अतिथि का पूजन, भोजन करने का नियम, काल, ग्रहण काल में भोजन करने का निषेध, शयन का नियम, कैसी सय्या होनी चाहिये तथा किस ओर शिर करना इत्यादि मानवाचार का विशदीकरण किया गया है (१-६२)।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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