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अध्याय
[ ६३ ]
प्रशासविषया ब्रह्मगति को प्राप्त करता है। भोजन की विधि, पश्च प्राणाहुति की विधि, प्रातः कृत्व का विधान, पिण्डदान का माहात्म्य बताया है। अमावास्या अष्टका आदि श्राद्धकाल, पात्र ब्राह्मण श्राद्धकाल, अलि संचयन, गया श्राद्ध माहात्म्य किस अन्न से पितरों की कितने काल तक तृप्ति होती है। श्राद्ध में किस किस अन्न को वर्जित किया है। पिण्डोदक नवश्राद्ध आदि का विस्तृत वर्णन किया है
(१-१४०)। ४ श्राद्धप्रकरणवर्णनम् ।
१५७४ श्राद्ध में कैसे ब्राह्मणों को आमन्त्रण करना उनके लक्षण। मूर्ख ब्राह्मणों को भोजन करने पर पितरों का पतन आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन
किया है (१-३६)। ५ श्राइप्रकरणवर्णनम्- .
१५७८ पिण्डदान विधि और उसके मन्त्र विस्तार से बताये
गये हैं (१-88)। ६ अशौचप्रकरणवर्णनम् ।
१५८७ सूतक पातक अशौच कितने दिन का किसको