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अध्याय
[ ६० ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क का वर्णन तथा वेद पढ़ने की प्रशंसा एवं आहार
शुद्धि का वर्णन बताया है ( १-२१)। २८ स्वयंविप्रतिपन्नादीनां क्षितस्त्रीणांत्यागाभावकथनम्।
१५३८ स्त्रीणांपतनहेतवः सर्ववेदपविताभिधानवर्णनम् १५३६ बलात्कार से उपभुक्त स्त्री त्याज्य नहीं होती है यथास्वयं विप्रतिपन्ना वा यदिवा विप्रवासिता । बलात्कारोपभुक्ता वा चोरहस्तगताऽपिवा ॥ न त्याज्या दूषितानारी नास्यास्त्यागो विधीयते । पुष्पकालमुपासीत ऋतुकालेन शुध्यति । स्त्री का त्याग ( तलाक) करना स्मृति विरुद्ध है। शतरुद्रिय, अथर्वशिर, त्रिसुपर्ण, गोसूक्त और अश्व
सूक्त के पाठ करने से पापों से मुक्त हो जाता है। . (१-२२)। २६ दानादीनां फलनिरूपणवर्णनम् ।
गोदान, छत्रदान, भूमिदान, पादुका दान, विविध प्रकार के दान तथा मौन व्रत का माहात्म्य [१-२२]