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अध्याय
[ ५६ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क पतित चाण्डाल से सम्बन्ध करने पर कृच्छू व्रत,
चान्द्रायणादि व्रतों को व्यवस्था बताई है (१-४३) । २४ कृच्छ्रातिकृच्छ्रविधिवर्णनम् । १५३२ ___ कृच्छातिकृच्छ्र चान्द्रायण की परिभाषा (१-८)। २५ रहस्यप्रायश्चित्तवर्णनम् ।
१५३२ अविख्यापितदोषाणां पापानां महतां तथा । सर्वेषां चोपपापानां शुद्धिं वक्ष्याम्यशेषतः ॥ गुप्त रखे हुए जो अपने पाप हैं उन रहस्य पापों का
पृथक् पृथक्प्रायश्चित्त बताये हैं (१-१२) । २६ साधारणपापक्षयोपायविधानववर्णनम् । १५३४
प्राणायाम, सन्ध्या, जप, सावित्री जप, पुरुष सूक्त आदि से पापों के क्षय होने का वर्णन किया है। धर्मशास्त्र के पढ़ने से पापक्षय होता है ऐसा
बताया है ( १-२०)। २७ वेदाध्ययनप्रशंसावर्णनम् । . १५३६
आहारशुद्धिनिरूपणम् । . . १५३७ वेदरूपी अनि से पाप राशि नष्ट होती है इत्यादि