SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३०] प्रधानविषय अध्याय ३. शरीर की एक एक चीज का बनना लिखा है । चौथे महीने में पिण्डाकार बनता है तथा पाँचवें में अंग बनने लग जाते हैं। छठे महीने में बल, नख, रोम और सातवें आठवें में चमड़ा, मांस बनकर स्मृति पैदा हो जाती है । इस प्रकार जन्म मरण के दुःख को दिखाया गया है। मनुष्य शरीर में कितनी नस कितनी धमनी तथा मर्मस्थान हैं इन सबका वर्णन कर शरीर को अस्थिर अनित्य नाशवान् बतला कर मोक्ष मार्ग में लगने का उपदेश किया गया है। योगशास्त्र, उपनिषदों के पठन एवं वीणा वादन से मन की एकाग्रता बताई है। वीणावादनतत्वज्ञः श्रुतिजातिविशारदः । तत्वज्ञश्वाप्रयासेन मोक्षमार्ग नियच्छति ॥ वीणा वादन के तत्त्व को जाननेवाला और ताल के ज्ञानवाला मोक्ष मार्ग पा लेता है । इस प्रकार 'मोक्ष मार्ग के साधन और संसार के अनित्य सुखों के वैराग्य का वर्णन तथा कुण्डलिनी योग, ध्यान, धारणा और सत्य की उपासना एवं वेद पृष्ठाङ्क
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy