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________________ [ २६ ] प्रधानविषय अध्याय ३ यतिधर्मप्रकरणवर्णनम् ---- यति सम्पूर्ण प्राणीमात्र का हित करनेवाला, शान्त और दण्ड धारण करने वाला हो । यति के सब पात्र बाँस और मिट्टी के होते हैं इनकी शुद्धि जल से हो जाती है । यति को राग द्वेष का त्याग कर अपने आपकी शुद्धि जिससे आत्मज्ञान का विकाश हो ऐसा करना चाहिये । सत्यमस्तेयमक्रोधो हीः शौचं धीट तिर्दमः । संयतेन्द्रियता विद्या धर्मः सार्व उदाहृतः ॥ १३०६ सत्य, अस्तेय, अक्रोध, पवित्रादि में सब धर्म बतलाये हैं (४६-६६ ) । अध्यात्म ज्ञान का प्रकरण आया है । जैसे तप्त लौह पिण्ड से चिनगारी निकलती है उसी प्रकार उस प्रकाश पुंज आत्मा से यह समष्टि व्यष्टि संसार रूपी चिनगारी निकलती है। आत्मा अजर अमर है शरीर में आने से इसे जन्म लेना कहते हैं । सूर्य की तपन ପ୍ରଥ वृष्टि फर औषधि तथा अन्न होकर शुक्र हो जाता है । स्त्री पुरुष के संयोग से यह पश्वधातु मय शरीर पैदा होता है । एक एक तत्त्व से
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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