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________________ [ २८ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठा ३ आपद्धर्मप्रकरणवर्णनम्१ वर्णनम १३०७ आपत्ति में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य कर्म से निर्वाह कर सकता है। परन्तु मांस तिल आदि आपत्ति में भी न बेचे। लाक्षालवणमांसानि पतनीयानि विक्रये। पयोदधि च मद्यञ्च होनवर्णकराणि च ॥ . ____ अर्थात् लाख, लवण और मांस बेचने से पतित हो जाता है। कृषि, शिल्प, नौकरी, चक्रवृद्धि, इक्का हांकना और भीख मांगना इनसे आपत्ति काल में जीवन निर्वाह कर सकता है (३५-४४)। वानप्रस्थधर्मप्रकरणवर्णनम् । १३०८ वानप्रस्थ धर्म का वर्णन आया है। वानप्रस्थ स्त्री को अपने साथ ले जावे या अपनी सन्तान के पास छोड़ देवे। वानप्रस्थ इन्द्रियों को दमन करनेवाला, प्रतिग्रह न लेनेवाला, स्वाध्याय करने वाला होना चाहिये। चान्द्रायण आदि से समय व्यतीत करे, वर्षा में ठण्डी जगह रहे, हेमन्त में गीले कपड़ों से रहे अर्थात् जितनी शक्ति हो उसी हिसाब से वन में तपस्या करता रहे (४५-५५) ।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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