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अध्याय
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प्रधानविषय स वैष्णव धर्माभिधानतच्छाखस्यफलश्रुति वर्णनम्
१२३३ पौराणिक तथा स्मृति के मन्त्रों से भगवान् विष्णु का पूजन और नवधा भक्ति का वर्णन, ध्यानजप, मन्त्रजप का वर्णन, तप्तचक्रांक धारण का माहात्म्य
और वैष्णव धर्मवालों की प्रशस्ति बताई है। "दानं दमः तपः शौचं आर्जवं शान्तिरेव च आनृशंसं सतां संग पारमैकान्त्य हेतवः । वैष्णवः परमेकान्तो नेतरो वैष्णवःस्मृतः ॥ पूजा का माहात्म्य और भिन्न भिन्न प्रकार से जो भगवान् विष्णु की पूजा उत्सव यज्ञ दान बताये हैं, इन सबका तात्पर्य यह है कि भक्त पर विष्णु भगवान की कृपा हो जाय। जिसपर वैष्णव संस्कारों से विष्णु भगवान् की कृपा या आशि
र्वाद हो जाता है उनका जीवन-चरित्र ऐसा होता है-दान करना, दम इन्द्रियों का दमन, तप तपस्या, शौच पवित्रता, आर्जव सरलता, शान्ति क्षमा, आनृशंसं सत्य वचन, सज्जनों का