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________________ अध्याय . प्रधानविषय पृष्ठाङ्क ५ विस्तार से बताया गया है (४१-२४६)। यति एवं वानप्रस्थ का रहनसहन तथा मन से अष्टोत्तर षट् मन्त्र का जप, उनका धर्म, सन्ध्या का विधान, वैश्वदेव और भूतबलि का विधान, दिनचर्या संस्कार तथा पुत्रोत्पत्ति का विधान (२४७-३०२)। वैष्णवों को प्रातःकाल में स्नान कर लक्ष्मीनारायण के पूजन की विधि बताई है। भगवान को पायस चढ़ाकर पुष्पाञ्जलि देकर द्वादशाक्षर जप करने का विधान आया है (३०३३१३)। मन्दिर में जाकर पूजन और द्वादशाक्षर मन्त्र से पुष्पाञ्जली देना (३१४-३२७ ) । वैशाख, श्रावण, कार्तिक, माघ, इन मासों में जिस प्रकार भगवान विष्णु का पूजन तथा विष्णु के उत्सवों का वर्णन आया है और पुराण पाठ आदि भगवान के पूजन कीर्तन के अनेक प्रकार के विधान बताये हैं ( ३२८-५६२) । भगवतः यात्रोत्सववर्णनम् - ११२७ वैष्णवेष्टि क्रियातः श्राइपर्यन्त विधिवर्णनम् ११३७ भगवान के महोत्सव की विधियां हैं जो कि अपने आचार के अनुसार की जाती है जिनसे अनावृष्टि
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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