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________________ [ ७३ ] . अध्याय प्रधानविषय - पृष्ठाङ्क में राजधर्म और भागवत धर्म की जिज्ञासा लिखी है ( २२४-२६५)। . ५ भगवन्नित्यनैमिचिक समाराधन विधिवर्णनम् १०७५ राजा अम्बरीषने मनु, भृगु, वशिष्ठ, मरीचि, दक्ष, अङ्गिरा, पुलः, पुलस्त्य, अत्रि इनको जगत् गुरु कहकर प्रणाम किया और वह परमधर्म पूछा जिससे संसार के बन्धन से छुटकारा हो जाय (१-६)। उत्तर में परमधर्म इस प्रकार बतायाःभगवान वासुदेव में भक्ति और उनके नाम का जप, भगवान को उद्देश्य कर व्रतादि, स्वदार में प्रीति दूसरी स्त्री में लगन न हो, अहिंसा और भगवानः का दास होकर रहना आदि आदि। मेरा स्वामी भगवान है और मैं उनका दास हूं यह धारणा रक्खें। यही भगवत् प्राप्ति का मार्ग है और इसके अतिरिक्त सब नरक का मार्ग बताना है (१०-१६)। वैष्णव धर्म का माहात्म्य और अपनेको भगवान का दास समझना . (१७-४०)। तप्त शंख चक्र का चिन्ह जिनपर लगाया गया उन ब्रह्मचारी, गृहस्थी, वानप्रस्थी और यतियों का नित्य कर्म और वर्णाचार, पूजन, जप, उपासना का विधान
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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