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अध्याय
[ ६४ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क लघुहारीतस्मृति के प्रधान विषय १ वर्णाश्रमधर्मवर्णनम्
६७४ ऋषिगणों का हारीत ऋषि से सम्वाद-ऋषियों ने वर्णाश्रम धर्म तथा योगशास्त्र हारीत से पूछा जिसके जानने से मनुष्य जन्ममरण रूप बन्धन को तोड़कर संसार से मुक्त हो जाय । इस अध्याय के नवम श्लोक से हारीत ने सृष्टि का वर्णन किया, भगवान शेषशायी समुद्र में शयन कर रहे थे उस समय ब्रह्मा की उत्पत्ति से प्रारम्भ कर जगत की उत्पत्ति तक वर्णन किया। श्लोक तेईस मे लिखा है जो धर्मशास्त्र न जाने उसको दान न देना। संक्षेप में ब्राह्मण का धर्म इस अध्याय में
कहा गया है ( १-२३)। २ चतुर्वर्णानां धर्मवर्णनम्
६७७ क्षत्रिय तथा वैश्य का धर्म बताया गया है। क्षत्रिय का धर्म प्रजापालन, दान देना, अपनी भार्या में ही रति रखना, नीति शास्त्र में कुशलता और मेल करना तथा लड़ना इसके तत्त्व को