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अध्याय
[ ६५ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क जाने। वैश्य का धर्म बताया है गोरक्षा, कृषि और वाणिज्य । मनुष्य को स्वदार निरत रहना चाहिये (१-१५)। ब्रह्मचर्याश्रम धर्मवर्णनम्-
६७६ उपनयन संस्कार के बाद विधिपूर्वक अध्ययन करना और अध्ययन विधि के विरुद्ध करना निष्फल बताया गया है ( १-४)। ब्रह्मचारी के नियम एवं नैष्ठिक ब्रह्मचारी को विवाह करना
और संन्यास करने का निषेध बताया गया है । इस प्रकार ब्रह्मचारी के धर्म का वर्णन बताया
गया है ( ५-१४)। ४ गृहस्थाश्रम धर्मवर्णनम्
वेदाध्ययन के अनन्तर ब्राह्मविवाह से विवाह करने की प्रशंसा लिखी है ( १-३)। प्रातःकाल उठकर दन्तधावन का विधान और दन्तधावन की लकड़ी तथा मन्त्रों से स्नान, प्रातःकाल जब सूर्य लाल-लाल दिखाई पड़ता है उस समय मन्देह नामक राक्षसों के साथ सूर्य का युद्ध होता है अतः प्रातःकाल गायत्री मंत्र से सूर्य को अर्घ्यदान
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