________________
[ २ ] . . .अध्याय ' प्रधानविषय
भेद बताये हैं। ब्रह्मचारी के भेद प्राजापत्य, नैष्ठिक इत्यादि गृहस्थ के चार भेद-शालीन यायावर इत्यादि, वानप्रस के भेद-वैशानस, उदुम्बर इत्यादि संन्यासी के भेद-हंस, परमहंस, दण्डी इत्यादि तथा उनके धर्मों का निर्देश किया है
(१४५-१७४)। १२ योगवर्णनम्
६५४ गर्भ में देहरचना और उससे वैराग्य, यह बताया है कि आत्मा देह से भिन्न है। अनेक प्रकार के कर्मों का वर्णन दिखलाया है कि कर्म के अनुसार देह बनती है। शब्द ब्रह्म का वर्णन और प्राण, योग सिद्धि, दीर्घायु का वर्णन। प्राणायाम का वर्णन 'पूरक, रेचक,कुम्भक और प्रत्याहार के अभ्यास का वर्णन, अग्नि, वायु, जल के संयोग से
शुद्धि ( १७५-२४२)। १२ प्रणवध्यानवर्णनम्
६६१ ध्यानयोगवर्णनम्
६६४ योगाभ्यासवर्णनम्
६७० ज्ञान योग और परम मुक्ति का वर्णन, भगवान