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________________ अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाव ११. शान्ति विधिवर्णनम् प्रत्येक ग्रह के मंत्र एवं कृषि पूजन विधान, वैदिक सूक्तों का वर्णन आया है जो कि उपर्युक्त ग्रहों में किया जाता है ( ३१४-३४७)। १२ राजधर्म वर्णनम् ६३८ राजा को देवता के समान बताया गया है ( १५२३)। राजा को प्रजा की रक्षा का विधान तथा राजा को राज्य संचालन के लिये षडगुण, सन्धि, विग्रह, यान, आसन, संश्रय, द्वैधीकरण इनके जानकार तथा रहस्यों की रक्षा इनका चरण करना चाहिये। अपने समीप कैसे पुरुषों को रखना इसका वर्णन आया है (२४-३६ ) । राजा को जहांतक हा लड़ाई नहीं करनी चाहिये क्योंकि युद्ध करने से सर्वनाश होता है ( ३७-४३)। जब युद्ध से न बचे उस समय व्यूह रचना आदि का वर्णन ( ४४-६६ )। पुरुषार्थ और भाग्य इन दोनों को समान दृष्टिकोण रखकर कार्य करना चाहिये (६७-७१ )। सांसारिक ऐश्वर्य को विनाशवान समझकर उसमें आस्था न करें। भाग्य और
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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