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[५८ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठा अद्भुत शान्ति वर्णनम् । घर के उपद्रव, एवं खेती में अपाय यथा सरसों के . वृक्ष में तिल, एवं जल में अमि, इन्धन इत्यादि गाय, बैल के शब्द से बोले, कौवे गृह में जाने लगे, दिन में तारे दिखना, मकान पर गृद्ध इत्यादि का बैठना, ऐसे ऐसे उपद्रवों की शान्ति
एवं उपचार मन्त्रों का वर्णन है (८६-१०६)। ११ रुद्रपूजाविधि वर्णनम्।
रुद्र की पूजा का विधान और उसके मंत्र बताये हैं
(१०७-१५८)। ११ रुद्रशान्ति वर्णनम् ।
११६ रुद्र शान्ति का सम्पूर्ण विधान बताया है। रुद्र शान्ति से आयु तथा कीर्ति बढ़ती है उपद्रवों की शान्ति होती है। मृत्युञ्जय का हवन बिल्वपत्रों से
(१५६-२०२ )। ११ तडागादि विधि वर्णनम ।
६२३ तड़ाग, कूप, वापी इनकी प्रतिष्ठा का विधान । उपर्युक्त वापी इत्यादि दूषित होने पर इनकी शुद्धि