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अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क रोग बताये हैं (८)। पापों से होनेवाले कम्प, चित्रकुष्ठ, पुण्डरीकादि रोग (8)। अति पाप से उत्पन्न होनेवाले रोग अर्श आदि (१०)। इन पाप जन्य रोगों का शमन
करने का उपाय दान जप आदि बताये गये हैं ( ११-३२)। १ ब्राह्मणमहत्त्व वर्णनम् ।
इन पापजन्य बुराइयों के शमन करने को ब्राह्मण द्वारा जप दान आदि बताये हैं। २ कुष्ठनिवारण प्रयोग वर्णनम् ।
६०१ ब्रह्म हत्या से पाण्डु कुष्ठ आदि होते हैं उनका प्रायश्चित्त का विवरण है (१-१२)। २ सामवेदेन सर्वपाप प्रायश्चित्तम् । ६०३
गोवध प्रायश्चित्त का विधान, सामवेद पारायण, (१३-१६)। २ हन्तक-फलानाशायोपाय वर्णनम्। ६०५ पितृ हत्या से जो अचैतन्य रोग होता हैउ सका विधान । मातृ हत्या से जो अचैतन्य रोग होता है उसका विधान (२०-२५) । बहिन हत्या के पाप का प्रायश्चित्त (२६-३५) । स्त्रीघाती एवं राज घाती के प्रायश्चित्त (३६-४२)। मिन्न भिन्न पशुओं के वध का भिन्न भिन्न प्रायश्चिच (४३-५७)।