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[ ६३ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाक २ ब्राममुहूर्तादिनचर्याकृत्य वर्णनम्, वैदिक कर्म गृहस्थाश्रमगुण वर्णनञ्च ।
५७१ उषा काल से दिन पर्यन्त कार्यक्रम का विधान दैनिक कार्य की सूची (१-१०)। उषा काल में स्नान सन्ध्या करने का माहात्म्य, सन्ध्या उपस्थान वर्णन (११-१६)। हवन ब्रह्मयज्ञ का समय (२०३०)। दूसरों को भोजन देने से मनुष्यता होती है (३०३५)। स्नान के प्रकार (३६) गृहस्थ के कर्म वह विभाग जिनके अनुसार चलने से गृहस्थाश्रमी उच्च कहलाने योग्य हो
(३७-५६). ३ गृहस्थीनां नवकर्मविधानं सुखसाधन धर्म वर्णनञ्च ५७६
गृहस्थी के नव कर्म करने से मान्यता (१-६)। नवविकर्म (१०-१६ ) सुख का साधन धर्म और चरित्र बताया है
(२०-३२)। ४ स्त्रोधर्मवर्णनम् ।
५८१ सद्गृहस्थी पति पत्नी का धार्मिक प्रेम स्वर्ग सुखवत् है। ५ बाह्याभ्यन्तर शौचवर्णनम् ।
५८३ शौच की परिभाषा तथा बाह्य एवं आभ्यन्तर शौच का वर्णन