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________________ अध्याय पृष्ठाङ्क [५८ ] प्रधानविषय ८६ सर्वदेवानाम्मध्येऽग्नेः प्राधान्यत्वं कार्तिके सर्व ___ पाप विमुक्ति वर्णनञ्च । ५२६ इसमें कार्तिक मास में जितेन्द्रिय व्रत करता हुआ स्नान करता है वह मनुष्य सब पापों से छूट जाता है। ६० मार्गशीर्षादि द्वादशमासान्निर्देशदान महत्त्व व० ५२६ मागशीर्ष के चन्द्रमा के उदय में सुवर्ण दान करे उसे रूप और सौभाग्य का लाभ होता है। पौष की पूर्णिमा में स्नान और दान कर कपड़े देवे तो पुष्ट होता है। माघ इत्यादि मासों के पूर्णमासी का व्रत, दान करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं। ६१ कूप तड़ाग खनन तदुत्सर्ग विधानं, तल्लक्षणञ्च, तन्निर्देश वस्तु दान महत्त्व वर्णनम् । ५३२ कूवा और तालाब के दान करनेवाले सब योनियों में तृप्त रहता है। ब्राह्मण के घर या रास्ते में वृक्ष लगाने से वही फल उसके घर में पुत्र रूप से उत्पन्न होते हैं। जो उनकी छाया में बैठते हैं वे उनके मित्र और सहायक होते है। कूप तडाग और मन्दिर का जीर्णोद्धार करनेवाले को नये बनाने का फल होता है।
SR No.032667
Book TitleSmruti Sandarbh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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