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________________ तमोऽध्यायः] जगत्परायणनारायणवर्णनम् । ५४३ प्रजापते ऊर्जस्पते वाचस्पते जगत्पते दिवस्पते वनस्पतेपयस्पते पृथिवीपते सलिलपते दिक्पते महत्पतेमरुत्पते लक्ष्मीपते ब्रह्मरूप ब्राह्मणप्रिय सर्वग अचिन्त्यज्ञानगम्य पुरुहूत पुरुष्टुत ब्रह्मण्य ब्रह्मप्रिय ब्रह्मकायिकमहाकायिक महाराजिक चतुम्महाराजिक भास्वरमहाभास्वर सप्त महाभाग स्वर तुषित महातुषितप्रतर्दन परिनिर्मित अपरिनिर्मित वशवतिन् यज्ञमहायज्ञ यज्ञयोग यज्ञगम्य यज्ञनिधन अजित वैकुण्ठअपार पर पुराण लेख्य प्रजाधर चित्राशखण्डधरयज्ञभागहर पुरोड़ाशहर विश्वक् विश्वधर शुचिश्रवःअच्युतार्चन घृतार्चिः खण्डपरशो पद्मनाभ पद्मधरपद्मधाराधर हृषीकेश एकशृङ्ग महावराह द्रुहिण अच्युतअनन्त पुरुष महापुरुष कपिल सांख्यचार्य विश्वक्सेनधर्माधर्म्मद धङ्गि धर्मवसुप्रद वरप्रद विष्णो जिष्णोसहिष्णो कृष्ण पुण्डरीकाक्ष नारायण परायणजगत्परायण नमोनम इति ।। स्तुत्वा त्वेवं प्रसन्नेन मनसा पृथिवी तदा । उवाच सम्मुखं देवं लब्धकामा वसुन्धरा ॥ इति वैष्णवे धर्मशास्त्रेऽश्नवतितमोऽध्यायः॥ -:००:
SR No.032667
Book TitleSmruti Sandarbh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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