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[ १७ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क ३ गृहस्थस्य पञ्चमहायज्ञाः
गृहस्म के पश्चयज्ञ का विधान (६८)। गृहस्थाश्रम की
मान्यता (७८-८५)। ३ बलिवैश्वदेवः
बलिवैश्वदेव करनेकी विधि३ अतिथि वर्णनम्
४५ अतिथि सत्कार की विधि (१०१-१०८)। गृहस्थ के लिये अतिथि को खिलाकर भोजन करने का वर्णन (११५ ११८)। ३ श्राद्धवर्णनम्
गोलक और कुण्डकादि निन्दित सन्तान (१७३-१७४)।
भोजन करने का नियम (२३८-२३६)। ४ गृहस्थाश्रम वर्णनम्
गृहस्थाश्रम का वर्णन (१)। श्राद्ध में और यज्ञ में कैसे ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिये (३०-३१)। उपनयनसंस्कार के अनन्तर स्नातक के रहन-सहन और व्यवहार के नियम( ३५-११०)। विशेष नियम तथा गृहस्थ की शिक्षा (१११-१३५) धर्म का आचरण और नियम (१७७) । दान, धर्म और श्राद्ध (२६०)।
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