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________________ पल्लीवाल ब्राह्मण अन्यत्र जाकर वास करने से वे ननवाणा बोहरा कहलाया फिर ११६४ में ननवाणा बोहरा बतलाना यह गप्प नहीं तो क्या गप्प के बच्चे हैं ? ४ मुनौयत-जोधपुर के राजा रायपालजी के १३ पुत्र थे जिसमें चतुर्थ पुत्र मोहणजी थे वि० सं० १३०१ में आचार्य शिवसेनसूरिने मोहणजी आदि को उपदेश देकर जैन बनाये आपकी संतान मुणोयतो के नाम से मशहूर हुई मोहणजो के सतावीसबी पीढि में मेहताजी विजयसिंहजी हुए (देखो आपका जीवन चरित्र) _ "खरतर-यतिरामलालजी ने महा० मुक्ता० पृ० ९८ पर लिखा है कि 'वि० सं० १५९५ में आचार्य जिनचन्द्रसूरि ने किसनगढ़ के राव रायमलजी के पुत्र मोहनजी को प्रतिवोध कर जैन वनाये मूलगच्छ खरतर-" कसौटी-मारवाड़ रोज के इतिहास में लिखा है कि जोधपुर के राजा उदयसिंहजी के पुत्र किसनसिंहजी ने वि० सं० १६६६ में किसनगढ़ वसाया यही बात भारत के प्राचीन राज वंश (राष्ट्रकूट) पृष्ट ३६८ पर ऐ० पं०विश्वेवरनाथ रेउ ने लिखी है जब किसनगढ़ ही वि० सं० १६६६ में वसा है तो वि० सं० १५९५ म किसनगढ़ के राजा रायमल के पुत्र मोहणजी को कैसे प्रतिबोध दिया क्या यह मुनोयतों के प्राचीन इतिहास का खून नहीं है ? यतिजी जिस किशनगढ़ के गजा रायपाल का स्वप्न देखा है उसको किसी इतिहास में बतलाने का कष्ठ करेगा ? __ ५ सुरांणा-वि० सं० ११३२ में प्राचार्य धर्मघोषसरि ने पंवार राव सुरा आदि को प्रतिबोध कर जैन बनाये जिसकी उत्पति
SR No.032656
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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