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________________ ५८ कापरड़ा तीर्थ इस तीर्थ के उद्धार होनेसे आस पास के ग्रामों को भी बडी भारी सुविधा हो गई हैं । यहाँ से आवश्यक सहायता भी चाहने पर पहुँचाई जा सकते है । उदाहरण स्वरूप (१) बाला* ग्राम में मन्दिरजी की प्रतिष्ठा हुई उस समय कापरड़ा, तीर्थ से पर्याप्त सहायता पहुँची थी । (२) कोसाणा के मन्दिर जो जोधपुरनिवासी भंडारी चंनणचन्दजी साबकी पूर्ण प्रेरणा से हालही में निर्माण हुआ जिस का अधूरा काम इस तीर्थ द्वारा सम्पूर्ण कराया गया । (३) पालासणी के मन्दिरजी पर ध्वजा दंड चढ़ाने में यावश्यक सहायता यहाँ से दी गई । (४) चौपड़ा के मन्दिर की मूर्ति चल थी । यहाँ की सहायता से वह अचल करवाई गई । इस के अतिरिक्त और भी आसपास के ग्रामों के मन्दिरों में किसी प्रकारकी शक्य सहायता की आवश्यक्ता हो तो यह पेढी सर्वदा तैयार है । * बाला ग्राम के जिनालय के विवरण जानने के लिये 'बालाश्रम में प्रतिष्ठा महोत्सव ' नाम की किताब को अवश्य पढिये ।
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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