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तीर्थ की विवस्या ( immediate) देखरेख के लिये एक मुनीम भी नियुक्त है। यात्रुओं को ठहरने की जगह, बरतन, विस्तर आदि प्रावश्यक सामग्री देने की पूर्ण व्यवस्था है। कारखाने में कई कर्मचारी हैं पानी लेने के लिये बैलों की जोडी भी है। कारखाने की संरक्षता में भेट भाई हुई कई गायों भी हैं और उनका अच्छा प्रबंध है। कई घोड़ियों भी भेट आई हैं। जीर्णोद्धार का कार्य भी थोडाथोडा जारी है। साथ में एक छोटी सी वाटिका भी है जिस में के पुष्प प्रभु की पूजा में काम आते हैं।
माघ शुक्ला ५ का यहाँ मेला भरता है। इस अवसर पर सेठ माणकलाल मनसुखभाई की ओर से अट्ठाई महोत्सव पूजा, प्रभावना, वरघोडा और स्वामिवात्सल्य आदि हुमा करते हैं।
पहले यात्रियों को पीपाड़ या सेलारी स्टेशन से खुशकी भाना पड़ता था परन्तु अब जोधपुर से सीधी यहाँ मोटर नित्य प्रति पाती है । दूर के यात्रियों को इस से अवश्य लाभ उठाना चाहिये जिन महानुभावों को इस तीर्थ की यात्रा करनेका सुवर्ण अवसर अब तक नहीं मिला है उन्हें में अनुरोध करता हूँ कि वे किसी तरह समय निकाल कर इस प्राचीन ऐतिहासिक तीर्थ की यात्रा सपरिवार अवश्यमेव करें। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि आप इस तीर्थ को भेंट कर अवश्य असम होंगे किमाधिकम् ।